Friday, June 07, 2019

वो शख़्स part -1

बड़ा अजीब है वो शख़्स.....

तरतीब* से किये गए काम
उसे  पसंद  ही नहीं  आते
कुछ काम में मुझसे छूटे कुछ नुक़्स*
उसे कोई अन्जानी-सी ख़ुशी दे जाते

बड़ा अजीब है वो शख़्स.....

मैं जब भी ज़ुल्फ़ों को करीने* से बाँधू
तो उसकी नज़रें कुछ शिकायत करने लगती हैं
मसरूफ़ियत* में यूँ ही नज़रें यहाँ-वहाँ घुमाकर कुछ कह दूँ
तो जान बूझकर वो मेरी बातों को अनसुना कर देता है

मेरी क़मीज़ के वो सलीक़ेदार बाज़ू उसे परेशान कर देते हैं
मेरे नपे-तुले लफ़्ज़ उसकी पेशानी* को सिलवटों से भर देते हैं

बड़ा अजीब है वो शख़्स.....

उसे पसंद है.. मेरा कुछ ग़लतियों को दोहराना
यां कुछ कहते-कहते अचानक से रुक जाना
बात -बे-बात मेरा  बस यूँ ही रूठ जाना
शरारत में उसके बढ़ते क़दमों परमुसलसल*पीछे चलते जाना

पता नहीं क्यों...???? पर बड़ा अजीब है वो शख़्स..!!!!!!

तरतीब - क्रम, sequence
नुक़्स - ग़लतियाँ, mistakes

करीने- साफ सुथरे तरीके से, neatly
मसरूफ़ियत - व्यस्तता, busy schedule

पेशानी - ललाट, forehead
मुसलसल - लगातार, constantly




यह थी मेरी एक नई कोशिश...उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी...
पर  यह शिकायत कुछ एकतरफा थी... उम्मीद है इस post के ज़रिए यह शिकायत उस अजीब शख़्स तक पहुँचे... और वो जल्द ही इसके पीछे के राज़ हम सबके साथ साझा करे... इंतज़ार करियेगा...

To be continued....

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