Tuesday, June 18, 2019

उड़ जा काले कावां(revived) lyrics Movie-Gadar

For whole song...pls hit the link...
https://youtu.be/IsvVGfwyUsE

जादू इश्क का अक्सर ही कुछ ऐसा होता है
लाख  पहरों में भी रंग  और गहरा  होता  है
माही हाथ न छूटे...अब ये साँस भले ही टूटे
दूरी के चंद लम्हे भी अब....चैन अपना लूटे

कि घर अाजा परदेसी... कि तेरी मेरी इक जिंदड़ी...
ओ घर आजा परदेसी.. कि तेरी मेरी इक जिंदड़ी...

याद में तेरी अक्सर ही हम खोेए रहते हैं...
दर्द  तेरे.. अब इस दिल में सोए  रहते हैं...
कितने सावन बीते बैरी....... हाय....
कितने सावन बीते बैरी... याद न तुझको आई
ख़्वाबों में भी सोचा न था होगा ऐसी जुदाई...

ओ कि घर अाजा परदेसी... कि तेरी मेरी इक जिंदड़ी...
ओ घर आजा परदेसी.. कि तेरी मेरी इक  जिंदड़ी
कि घर आजा परदेसी... कि तेरी मेरी इक जिंदड़ी...

उड़ जा काले कावां तेरे मुँह विच खण्ड पावां
ले जा तू संदेसा मेरा मैं सदके जावां
बागों में फिर झूले पड़ गए... पक गईयां मिठि्ठयाँ अम्बियाँ
इक छोटी सी ज़िन्दगी ते... रातां लम्बियाँ....लम्बियाँ...

ओ घर अाजा परदेसी... कि तेरी मेरी इक जिंदड़ी...
ओ घर आजा परदेसी.. कि तेरी मेरी इक  जिंदड़ी

गाँव की मिट्टी.. झूले..नहरें... याद करते हैं...
तुम से मिलने की हम भी फरियाद करते हैं
लौट आ... अब तो बरसों बीते मेरे दिलबर जानी...
याद में तेरी... यार के तेरी आँखों में है पानी...

कि घर आजा परदेसी... कि तेरी मेरी इक जिंदड़ी...
ओ घर आजा परदेसी.. कि तेरी मेरी इक  जिंदड़ी
ओ कि घर अाजा परदेसी... कि तेरी मेरी इक जिंदड़ी

ओ..ओ...ओ...ओ....ओ.........
ओ..ओ...ओ...ओ....ओ.........










1 comment:

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