Monday, January 29, 2018

दर्दनाक पहलू part-2

न  कोई  आँगन है... न  कोई  ठिकाना...
न किसी से राबता है..न कहीं आना-जाना

मुफ़्लिसी में जीने को इस क़दर मजबूर हो गए
चार दिन ज़िन्दगी के पैसे कमाने में ही खो गए

कहतें   हैं   जो    ज़िन्दगी   खूबसूरत   है...
यहाँ आकर देखिए इसकी यह भी एक सूरत है..

         अमीर   जहाँ   और   अमीर  बनता   गया
         गरीब का हर लम्हा उम्र बनकर ढलता गया

          उन  महलों  की  हर  शाम थी जश्नों  वाली
          यहाँ  तो   नसीब  में  ही नहीं थी  'दीवाली'

कहतें हैं जो ज़िन्दगी खूबसूरत है...
यहाँ आकर देखिए इसकी यह भी एक सूरत है...


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Happy reading.....