Tuesday, January 30, 2018

दर्दनाक पहलू part-3

ग़र हम हर निवाला इनसें बाँट कर खाएँ
तो   शायद   सुख़   कुछ   अनूठा  पाएँ
एहसान  नहीं  अगर इसे 'फर्ज़'  समझेंगे
तभी शायद समाज को कुछ लौटा सकेंगे

   कहते   हैं   जो   ज़िन्दगी   खूबसूरत   है.....
   सच है...बस बदलनी हमें इसकी यह सूरत है...


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Happy reading.....