थक कर ग़र तुम बैठ गए हो
तो शायद साथ मुझे न पाअोगे
पर अगर जज़्बा है तुम में
. तक़दीर से कुछ छीन कर लाने का
तो हाँ...मैं तुम्हारे साथ हूँ
सब जला कर ख़ाक़ करने वाली तीली
ग़र कहलाअोगे तो साथ मुझे न पाअोगे
पर क़ायनात को अगर सचमुच
शमा की तरह रोशन करना चाहते हो
तो हाँ...मैं तुम्हारे साथ हूँ
No comments:
Post a Comment
Happy reading.....