Wednesday, February 28, 2018

...तो मैं तुम्हारे साथ हूँ-2


बैठे हो ग़र तुम हाथों की लकीरों से जद्दोजहद में तो नहीं
पर माद्दा  है अगर  तुम में अपनी लकीरें  ख़ुद बनाने का

तो हाँ...मैं तुम्हारे साथ हूँ

औरों   को  दुख  पहुँचा  कर पाई किसी  खुशी  में  तो नहीं
पर अगर यह औरों को ख़ुशी बाँटने के बदले मिली ख़ुशी है

तो हाँ...मैं तुम्हारे साथ हूँ

मैं हँसी हूँ... ख़ुशी हूँ...
पर   हर   ग़म   में   भी   हमेशा   तुम्हारे   साथ   हूँ
मान हूँ ...अभिमान हूँ...
और तुम्हारे स्वाभिमान की तरह सदा तुम्हारे साथ हूँ

तुम्हारे    मन    की    आवाज़    हूँ
ख़ुदा ने तुम्हें दिया वो प्यारा-सा साज़ हूँ
ख़ुशकिस्मत हो तुम...कि मैं तुम्हारे साथ हूँ


1 comment:

  1. आप बहुत अच्छी लाइन लिखते हो। आपका धन्यावाद हिंदी को बढ़ावा देने के लिए।

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Happy reading.....