हमेशा की तरह आज यह शाम फिर ढल रही है
हर पल हर दिन ज़िन्दगी हाथ से निकल रही है
दौलत और शोहरत कमाने के इस जुनून के बीच
कई रिश्तों की डोर बुनने से पहले ही उधड़ रही है
कहने को तो ज़िन्दगी सदा चार दिन की ही रही है
पर फिर क्यों आज यह बस एक बोझ लग रही है
हमेशा की तरह आज यह शाम फिर ढल रही है
हर पल हर दिन ज़िन्दगी हाथ से निकल रही है
हर पल हर दिन ज़िन्दगी हाथ से निकल रही है
दौलत और शोहरत कमाने के इस जुनून के बीच
कई रिश्तों की डोर बुनने से पहले ही उधड़ रही है
कहने को तो ज़िन्दगी सदा चार दिन की ही रही है
पर फिर क्यों आज यह बस एक बोझ लग रही है
हमेशा की तरह आज यह शाम फिर ढल रही है
हर पल हर दिन ज़िन्दगी हाथ से निकल रही है
Bht hi umdaaa
ReplyDeleteGod bless my child
Khoob tarakii karo aur aise hi likhte raho
Thank u so..much :-)
ReplyDeleteNhóm vui - Cộng đồng chia sẻ kiến thức số 1 Việt Nam
ReplyDeleteBahut khoob
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