Sunday, March 11, 2018

बाक़ी है....-1



आ पहुँचे हैं आज हम मीलों दूर
मीलों का करना सफर अभी बाक़ी है

आसान लगने वाली सीधी राहें नहीं ये
इनमें कई घुमावदार मोड़ अभी बाक़ी है

इक ठोकर ने ही ज़ख़्मी कर दिया इन नाज़ुक क़दमों को
आगे   तो   देखने   ऐसे   कई   घाव   बाक़ी   है
ज़िद है दुनिया को कुछ कर के दिखाने की
अभी  मेरे  हौसलों  की  उड़ान  बाक़ी   है

जिसने  नाप  ली हो  यह  मुट्ठी  भर  ज़मीन
कहते हैं उसके सामने सारा आसमान बाक़ी है

मन्ज़िलों  को  मिलना  होगा  और  वो  मिलेगी  ही
अपनी सच्ची कोशिशों पे मुझे अभी ऐतबार बाक़ी है
आ पहुँचे हैं अब सफर के आख़िरी पड़ाव पर
जीतने के लिए बस एक लम्बी छलाँग बाक़ी है

To be continued...


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Happy reading.....