इक अरसे बाद आज फिर एक कहानी याद आती है
क़लम बस फिर नहीं रुकती..जब एक ज़िन्दग़ानी याद आती है
ऐसे तो यह बात बहुत पुरानी नहीं थी
पर बात थी कि यह बात सबको सुनानी नहीं थी
ख़ैर..अब क्या पर्दा आप से और उन तमाशबीनों से
जो शामिल थे कल खूब..पर आज लग रहे थे बौनों-से
सब ठीक था.. सब शांत था
वो कल तक उसका नाज़ था
पर चंद लम्हों में ज़ाहिर था
यह तो तूफान का आग़ाज़ था
बातें...वादें...क़समें...नातें...
इधर भी थे..और उधर भी..
दर्द...आँसू...शिक़वे...ग़िले...
इधर भी थे..और उधर भी..
मजबूरी बता वो जुदा हो गया
चंद लम्हों में बेवफ़ा हो गया
इतने अरसे का रिश्ता तोड़ गया
और तन्हाई में उसे सिसकता छोड़ गया
तड़पी थी वो उस दिन... बेइन्तेहां रोई थी....
खुद के अश्क़ों से ख़ुद की चुनरी उसने कई बार भिगोई थी
इश्क का ऐसा हश्र देखकर सन्नाटा भी सहम गया
ख़ुद को..और क़िस्मत को कोसते कुछ और वक़्त निकल गया
To be continued...
For second part...click
https://daureparvaaz.blogspot.com/2018/04/part-2.html?m=1
मैंने इस कहानी को बहुत करीब से जिया है हैरान हूँ आप ने इस तरह बयान किया है जैसे आप को सब मालूम हो
ReplyDeleteआपके शब्दों में बहुत सच्चाई और गहराई है मैंने एक ही दिन में आपकी सारी पोस्ट पढ़ डालीं
मैंने आपको मेल किया था पर आप का कोई जवाब नहीं आया इसलिये ये कमेंट किया ऐसे ही लिखते रहिये बहुत खूब
शुक्रिया...मैंने वाकई इसको क़रीब से देखा और महसूस किया है...जान कर ख़ुशी हुई कि आप ने इस blog की सभी पोस्ट पढ़ी हैं..ऐसे ही पढ़ते रहिए और comment करके अपनी राय देते रहिए..
ReplyDeleteMail करते वक़्त plz subject ज़रूर mention किया कीजिए नहीं तो वो spam में चला जाता है..thank you so..much for ur mail..keep writing to me..just like this :-)
Shaheen ji please next part is poem ka jldi upload kijiye
ReplyDeletePublished...
Deletehttps://daureparvaaz.blogspot.in/2018/04/part-2.html?m=1
Probabily aaj n8 tk publish ho jaega sir or ma'am..thanx :-) :-) :-)
ReplyDeleteMari bergabung BOLAVITA
ReplyDeleteBolavita 😊
ReplyDeleteक्या शानदार लाइन हैं आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
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