Tuesday, April 24, 2018

ज़िन्दगी..part-2

दर्द की  राहों  में  ख़ुशी की एक दस्तक  नसीब नहीं  होती
पर ख़ुशी के रास्तों पर दर्द के समन्दर सैलाब ले ही आते हैं

To be continued...

अजीब दास्तां हैं तुझमें भी ऐ किताब-ए-ज़िन्दगी !!
पढ़ने का शौक़ न रखने वाले भी तुझे पढ़ ही जाते हैं

दिल की बातें कहने में जब भी मुश्किल पेश आती है
तो जज़्बात आँखों से भी बयां कर दिये जाते हैं

यूँ तो लाख मसरूफ़ सही हम अपनी ज़िन्दगियों में
पर सच तो यह है कि ख़ुद के लिए दो पलों को तरस जाते हैं

वैसे तो अक्सर जाना होता है महफिल-ए-शमा में
पर आज भी जहाँ से चले थे..ख़ुद को वहीं पाते हैं

अजीब फलसफा है तेरा भी ऐ ज़िन्दगी !!!
राहें वहीं रहती है..... राही बदल जाते हैं

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Happy reading.....