Sunday, May 06, 2018

ऐसी सनक नहीं होती

तमन्नाओं की सुना है..कोई सरहद नहीं होती
ये कब क्या चाह बैठें हमें भी ख़बर नहीं होती
                  आलीशान महलों के ख़्वाब देखने वालों..!!!
                  बुनियाद  से  बेपरवाही  अच्छी  नहीं होती

यतीमों की यहाँ कोई क़दर नहीं होती
ज़ईफों को यहाँ नसीब छत नहीं होती
                   इन्सां का नहीं...  ख़ौफ रख उस ख़ुदा का
                   दिखता उन्हें भी है..जिनकी नज़र नहीं होती

कोशिशें  हमारी  सिफ़र  नहीं  होती
उम्मीदों की दहलीज़ भी तर नहीं होती
                   झूठ  ही  कह  देते  तो  अच्छा  था
                   सच के लिए जाम की ज़रूरत नहीं होती

शिक़वों के बाज़ार में मोहब्बत नहीं होती
होती  है  तो उसमें वो शिद्दत  नहीं  होती
                    ज़िन्दगी के फलसफे भी न बयां करते कभी
                    ठोकरों   में   ग़र   ये   क़ुव्वत   नहीं   होती

मुसलसल ग़ुस्ताख़ियाँ  पेश- ए- अदब नहीं होती
तो शमा- परवाने की ग़ुफ्तुगू में ख़लल नहीं होती
                   थम  जाता  ग़र  दौर  तक़लीफों  का
                   तो..ज़िन्दगी के लिए ऐसी सनक नहीं होती

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Happy reading.....