रुकना था जिस जगह..... वो साहिल कोई और था..
सँभलता था जो बस ठोकरों से..वो मुसाफिर कोई और था
इक सैलाब ने तबाह किया कुछ इस तरह चमन को
लगता है.... महकता हुआ वो चमन कोई और था
उस दौराहे के बाद से लगने लगा कुछ अजीब
मंज़िल मिलनी थी जहाँ..वो मोड़ कोई और था
मसरूफ़ियत आज उनकी यह बयां कर गई
बाँटते थे जिससे तक़लीफें..वो हमदर्द कोई और था
तमाम रंगों का इंतज़ार तो ख़ैर हमें भी उम्र भर था
इक दर्द ने दी है हिम्मत...ज़िन्दगी से इस जंग की
अगले दिन देखा..... तो वो दर्द ही क़ाफूर था
Nhóm vui - Cộng đồng chia sẻ kiến thức số 1 Việt Nam
ReplyDelete:-)
DeleteKeep reading...
Deletebht khuub....khuub taraki kro beta...ALLAH bless u....bht hi badiya likhte ho betaji....cha gye tussi
ReplyDeleteThanx alot..daduji..keep reading :-) :-) :-)
DeleteNice post thanks alot
ReplyDeleteTrp kya hai