तपती चिलचिलाती धूप में कुछ छाँव चाहिये
उड़ान भरने की ख़ातिर खुला आसमान चाहिये...
To be continued...
हर काम में अपना ही नाम चाहिये
दौलत क्या कहें..बस बेशुमार चाहिये
लम्बे समय से इन्हें ही जोड़ रहीं हैं उँगलियाँ
अब इन्हें भी थोड़ा आराम चाहिये
ऐश-ओ-आराम का साज़-ओ-सामान चाहिये
हर जगह..हर जन्म में..हर बार चाहिये
लम्बे समय से इसीलिए चल रही हैं धड़कनें
अब इन्हें भी थोड़ा आराम चाहिये
छोड़ कर सबको पीछे..बस अपना मुक़ाम चाहिये
ख़ुशियाँ सबके हिस्से की वो तमाम चाहिये
लम्बे अरसे से यूँ ही थक रहा है दिमाग
अब इसे भी थोड़ा आराम चाहिये
दोस्तों के साथ बिताई वो प्यारी शाम चाहिये
बस..हमें हर वो ख़ूबसूरत याद चाहिये
लम्बे समय से इसीलिए बेचैन है हम
अब हमें भी थोड़ा आराम चाहिये
उड़ान भरने की ख़ातिर खुला आसमान चाहिये...
To be continued...
सब कुछ पा लेने के बाद भी..कुछ-न-कुछ तो रह ही जाता है और उसे ही सोच-सोच कर हम हमेशा बेचैन रहते हैं...और इस बेचैनी का अक्सर हमें कोई हल नहीं मिल पाता..
हर काम में अपना ही नाम चाहिये
दौलत क्या कहें..बस बेशुमार चाहिये
लम्बे समय से इन्हें ही जोड़ रहीं हैं उँगलियाँ
अब इन्हें भी थोड़ा आराम चाहिये
ऐश-ओ-आराम का साज़-ओ-सामान चाहिये
हर जगह..हर जन्म में..हर बार चाहिये
लम्बे समय से इसीलिए चल रही हैं धड़कनें
अब इन्हें भी थोड़ा आराम चाहिये
छोड़ कर सबको पीछे..बस अपना मुक़ाम चाहिये
ख़ुशियाँ सबके हिस्से की वो तमाम चाहिये
लम्बे अरसे से यूँ ही थक रहा है दिमाग
अब इसे भी थोड़ा आराम चाहिये
सुक़ून तलाशना है तो..उसे अपनों में तलाशना चाहिये..अपने सपनों में तलाशना चाहिये..दूसरों की ख़ुशी में तलाशना चाहिये..बारिश की बूँदों में तलाशना चाहिये...दोस्ती के पलों में तलाशना चाहिये...
दोस्तों के साथ बिताई वो प्यारी शाम चाहिये
बस..हमें हर वो ख़ूबसूरत याद चाहिये
लम्बे समय से इसीलिए बेचैन है हम
अब हमें भी थोड़ा आराम चाहिये
mam fabulous...u r jst awsm in writing......
ReplyDeleteThanx alot...keep reading :-) :-) :-)
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