आ कर जाना ही हो ज़िन्दगी से वापस
तो तुम्हारा ऐसा आना मुझे क़ुबूल नहीं
ख़ुद तक़लीफ देकर मिन्नतें* करो ख़ुश रहने की
तो ये..... ख़ैर ख़्वाहों* वाला सुलूक़ नहीं
यह इत्मेनानियत* की बातें हैं जनाब...
इनमें तफ़्सील* बेहद ज़रूरी है
हर बात इशारों में ही हो
यहाँ ऐसा कोई उसूल नहीं
क़ुसूर तो था बेशक़.. वो भी बेहिसाब
और इसे दिल जानता भी है
पर ज़ुबान* इस पर कैसे हामी भरे
इतने तो इस दिल के रसूख़* नहीं
शिक़वा नहीं...... पर एक क़सक बाक़ी है
उन यादों की पोटली में लिपटी गहरी उदासी है
न चाह कर भी सहेजना होगा इसे ताउम्र
मीठा-सा रिश्ता था वो..बस एक फ़ितूर* नहीं
मिन्नतें: प्रार्थना , request
ख़ैर ख़्वाह: भला चाहने वाला , well- wisher
इत्मेनानियत: धैर्य ,तसल्ली , patience
तफ़्सील: विवरण , detailing
ज़ुबान: जीभ , tongue
रसूख़: जान-पहचान, पहुँच , jack
फ़ितूर: दीवानापन , a kind of madness
Nice article bro thanks share karne ke liye
ReplyDeleteThanx alot..keep reading :-)
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