जागती रहती हैं उनकी आँखें.. ताकि हम चैन से सो पाएँ..त्योंहार तक बलि चढ़ जाते हैं..ताकि हम अपनों के साथ रह पाएँ...ऐसे वीरों की शहादत पर हिमालय भी शीश झुकाता है.. एेसे लाल को पाकर..धरती का सीना चौड़ा हो जाता है..
ऐसे वीर योद्धाओं को शत-शत नमन...!!!!!🙏🙏🙏
जैसे वो कल की ही बात थी
जब उन मासूम आँखों से
एक सपने को पलते देखा था
बड़े बे-ख़ौफ़ इरादों से...
इन्हीं पथरीली राहों से
जब गया था तो क़दम कुछ नाज़ुक थे
पर लौटा तो चट्टान-सा
जिसकी एक झलक को सब आतुर थे
तन पर वर्दी...आँखों में तेज
चेहरे पर सूर्य-सी चमक थी
सीने पर तिरंगा... आज़ाद परिंदा
इस जवान की क्या खूब दमक थी
सफर अब कड़ा था
और कारवाँ चल पड़ा था
रेगिस्तान की हो तपती रेत
चाहें हो वो लहलहाते खेत
सामने हो बर्फीले तूफान
मौत आए चाहे सीना तान
डरा नहीं.. वो रुका नहीं..
वो थमा नहीं... वो झुका नहीं...
इन बीतते सालों में
अपने मज़बूत इरादों से
कई ग़द्दारों को धूल चटाई
और कई दुश्मनों ने मुँह की खाई
पर सफर ये कुछ छोटा था
जिस्म पर घाव कुछ गहरा था
अाँखें सबकी भीगीं थीं
और पीड़ाएँ सबकी गहरी थीं
माँ चीख़ पड़ी.. बहन बिलख रही थी
पत्नी ने अपना सिंदूर पोंछा था
पिता गौरव से आँसू रोके थे
बेटा आज तिरंगे में लिपटा घर पहुँचा था
ऐसे वीरों की वीरता को
कलमबद्ध करना मुश्किल है
मुश्किल है आभार जताना
धन्यवाद देना मुश्किल है..!!!
Gazzab hi likh diye hain aap madam....veerta ko salam��♂️��♂️
ReplyDeleteShukriya...keep reading :-)
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