लफ़्ज़ों को तहज़ीब से सहेजकर
लहज़े से सिलवटों को निकाल रक्खा है
क़ाफ़िये के बिछौने पर मैंने
ग़ज़लों के तकिये को सजा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़्मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
मौसिकी से दिल बहलाने की खातिर
सारा इन्तेज़ाम पहले ही करा रक्खा है
पसंद का तुम्हारी इस हद तक ख़याल रखा कि
दरवाज़े पर नाम तक तुम्हारा लिखा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
सँभलना ज़रा.... कि वहाँ एक ठोकर-सी है
मैंने वहाँ शिकायतों की पोटली को गाढ़ रक्खा है
कुरेदना नहीं हैं तुम्हें भी इसे कभी
तख़्ती पर ये साफ अल्फाज़ों में लिखा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़्मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
दहलीज़ पर नक्काशी गज़ब की है
झरोखों का भी खूब खयाल रक्खा है
किश्तों की फिज़ूलियत से बचने के लिए
एक मुश्त इंतेज़ाम करा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़्मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
ये छत के झूमर में जो हीरे हैं न
एक-एक याद से सहेजे गए हैं
बिखर न जाएँ कहीं ये कभी टूटकर
मैंने इनका भी बीमा करा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़्मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
लहज़े से सिलवटों को निकाल रक्खा है
क़ाफ़िये के बिछौने पर मैंने
ग़ज़लों के तकिये को सजा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़्मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
मौसिकी से दिल बहलाने की खातिर
सारा इन्तेज़ाम पहले ही करा रक्खा है
पसंद का तुम्हारी इस हद तक ख़याल रखा कि
दरवाज़े पर नाम तक तुम्हारा लिखा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
सँभलना ज़रा.... कि वहाँ एक ठोकर-सी है
मैंने वहाँ शिकायतों की पोटली को गाढ़ रक्खा है
कुरेदना नहीं हैं तुम्हें भी इसे कभी
तख़्ती पर ये साफ अल्फाज़ों में लिखा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़्मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
दहलीज़ पर नक्काशी गज़ब की है
झरोखों का भी खूब खयाल रक्खा है
किश्तों की फिज़ूलियत से बचने के लिए
एक मुश्त इंतेज़ाम करा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़्मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
एक-एक याद से सहेजे गए हैं
बिखर न जाएँ कहीं ये कभी टूटकर
मैंने इनका भी बीमा करा रक्खा है
दस्तक दो कभी मेरी नज़्मों पर ज़रा...
मैंने यहाँ एक ख़ूबसूरत जहाँ बसा रक्खा है !!!
Really deep lines.....
ReplyDeleteThnx..keep reading :-)
DeleteReally heart touching lines.this is full form classroom
ReplyDeleteThnx alot...keep reading :-)
ReplyDeletebahot hi achhi lines hain, you are really good writer. I am Technical Krishna
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